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Sameed saab shayari lyrics in hindi part 2

Sameed saab shayari lyrics in hindi part 2

Sameed saab shayari lyrics in hindi part 2

समीद साब की शायरी का ये दूसरा पार्ट है । समीद साब के द्वारा लिखी हुई शायरी का ये दूसरा पार्ट है (पिछले पार्ट को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें) वह अपनी आवाज में अपने वीडियो बनाते हैं और इंस्टाग्राम रील्स पर अपनी दिल दहला देने वाली शायरी वीडियो के लिए मशहूर हैं। समीद आलम के इंस्टाग्राम पर (फरवरी 2022 तक) 1.4m से अधिक फॉलोअर्स हैं। (Sameed saab shayari lyrics in hindi part 2)

Contents

1

वो मुझे बे-बात सताए जा रहा था!
मैं उसकी गलतियों को बच्चे की तरह भुलाए जा रहा था!
मैं भी तुम्हें कितना सहता?
एक हद्द के बाद ज़ुर्म सहना
ख़ता है ना!
बहुत भरोसा था तुमपे,
वैसे था का मतलब पता है ना?
 - समीद साब (Sameed Saab)

2

ऐ आसमां...
तुझे जितनी घनघोर घटाएं बिछानी है बिछाले,
मगर याद रखना,मेरे रब की नज़रें तीर जैसी है,
कभी हम पर गिरी,तो तेरे सीने के अदंर से आयेंगी!
- समीद साब (Sameed Saab)

3

उलझन इस कदर,के दम घुट रहा है
दर बदर भटक कर,अपनी सादगी से रिश्ता टूट रहा है
अब सच तो बोलते है,पर खुद से झूठ बोलकर
ऐतबार तो करते हैं,लेकिन समझदार बनकर
- समीद साब (Sameed Saab)

4

तुम परी थे,आसमान में रहते
ज़मीन पर क्यूं उतरे?
चांद थे,चांद रहते
तारों की तरह टूट कर क्यूं बिख़रे?
लिहाज़ बन रहे रिश्ते का, 
रखना चाहिए था तुम्हें...
जा रहे थे,चले जाते...
पर एक बार,
कहना चाहिए था तुम्हें!
- समीद साब (Sameed Saab)

5

ज़िन्दगी के सफ़र में 
नादानी से लेकर जवानी तक।
वक़्त का कारवां गुजरता गया।
हम चलते गए लोग मिलते गए।
मेरा नाम ये...
हाथ मिलाया,और दोस्त बनते गए।
कुछ मेरी गलतियों से,कुछ वक़्त का करम,
कुछ छूट गए रास्ते में,कुछ रूठ गए हमसे
कुछ पास रह कर बदल गए।
कुछ मुझे रास्ते में छोड़ आगे निकल गए।
जो मिले रास्ते में सब प्यारे हैं।
उन्हें कैसे भूल जाए कोई...
मगर रिश्तें किस किस से 
और बड़ी बात
सबसे कैसे निभाए कोई।
- समीद साब (Sameed Saab)

6

मेरे घर में तारे टिमटिमाएगें
शहनाइयों की सदा आएगी
ढोल बजेगा...
मेरा घर कुछ यूं सजेगा।
दुनियां पूछती रहेगी...
ये महफ़िल,
किस खुशी में ?
तुम चेहरे पर
दुप्पटा लपेटे चली आना
और इस कदर...
हम दोनों का मिलना 
एक राज़ रहेगा।
- समीद साब (Sameed Saab)

7

वो पंछी,
जो मायूस उस डाल पर बैठी है!
चहकती थी,
हसती ,इठलाती,
बादलों में उड़ती थी कभी
साथ का वादा देकर ,
हाथ पकड़ पिंजरे में बुलाया
फसाया बातों में!
हाथों में उसके ,
अब वो हाथ नहीं है
हसने में उसके वो बात नहीं है
ऊंचे आसमान से डरती है!
हिम्मत भी दम तक तोड़ इस हाल,
जहान में छोड़ गया कोई
मलाल है 
उसे पिंजरे में पाल,
 खुद आसमान में उड़ गया कोई
- समीद साब (Sameed Saab)

8

देखो,
मैं बहुत हिम्मत जुटा कर,
दोबारा तुम्हारा यक़ीन कर रहा हूं!
तुम,दिल तोड़ तो नहीं दोगे ना?
इरादा, तो नहीं अब इश्क़ का मगर...
ऐतबार, तुम्हारे कहने से तुम पर कर रहा हूं।
शुरुआत है, सादगी है,
यक़ीन है, इश्क़ है,
सब बेहतर है...
बाद में शक, शिक़ायत, सपने,
समाज है कहकर छोड़ तो नहीं दोगे ना?
देखो...
एहसान करो, सच कहो,
इरादा तुम्हारा, छोड़ने का है...
तो अभी चले जाओ
देर नहीं हुई, दूरियां बना लो...
रास्ते में धूप, बारिश,
कांटे, कंकड़ हैं कहकर
रास्ता मोड़ तो नहीं लोगे ना?
बुरा ना मनाना...
यक़ीन है तुम पर,
दिल से...
बस ऐसे एहसास से गुज़रे हैं कि
ऐतबार करना मुश्किल हो रहा है,
कसम से...
एहसान करो, सच कहो!!
- समीद साब (Sameed Saab)

9

के...
तुम्हें मुझपे ऐतबार है!
ये ऐसा है,
जैसे मेरी दादी कहा करती थी,
कि...
चांद पर एक बुढ़िया अम्मा झाड़ू लगाती है!
वहां...
सच में कोई बुढ़िया थी?
मुझे नहीं लगता!
तब दादी कहती थी...
सावन के अंधे को सब हरियाली नज़र आती है!
तो,
मेरे रोकने से रुक जाओगी तुम?
मुझे नहीं लगता!
लेकिन जब तुम चाहो,
हमारी दहलीज पर आ जाना!
दरवाज़े खुले मिलेंगें...
वैसे,
अब रास्ते मुड़ेंगें तुम्हारे मुझे नहीं लगता!
अब सब ख़त्म होने वाला है...
क्या?
कुछ नहीं!
कह रहा था...
अभी रेल को तुम्हारे,
एक घंटे का समय है!
देखलो,
कुछ छूटा तो नहीं?
वैसे...
यादाश्त काफी तेज़ है तुम्हारी!
कुछ छोड़ा होगा तुमने...
मुझे नहीं लगता!
- समीद साब (Sameed Saab)

10

जब दिल टूटा था, तब तुम आए थे।
बहार आई थी, जब तुम आए थे।
मेरे कुछ, बुरे दिन सहे नहीं गए तुमसे ना?
जा रही हूं, ये भी कहे नहीं गए तुमसे ना?
लाचार कर दिया था तुमने तो...
बर्बाद कर दिया था तुमने तो...
खैर
अब इश्क़ तुमसे क्या, किसी से भी नहीं और हो भी नहीं सकता ।
दो बार भरोसा किया था अब दोबारा हो नहीं सकता । 
और कुछ बात और के
यूं तो कई रात के अंधेरों में कोने में बैठ कर रोते हुए रात रात भर सोचा तुम्हें
लेकिन फिर एक सुबह ऐसी भी आईं
जब मुझे ये सोचना पड़ा के इतने दिनों से मैं सोच क्या रहा था?
- समीद साब (Sameed Saab)
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