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Top collection allama iqbal urdu shayari in hindi

Top collection allama iqbal urdu shayari in hindi

ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

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अल्लामा इक़बाल के 10 बड़े शेर

1

tire ishq ki intiha chaahata hun
miri saadagi dekh kya chaahata hun
ye jannat mubaarak rahe zaahidon ko
ki main aap ka saamana chaahata hun

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ
-अल्लामा इक़बाल

2

nigaah-e-ishq dil-e-zinda ki talaash mein hai
shikaar-e-murda saza-vaar-e-shaahabaaz nahin

निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंदा की तलाश में है
शिकार-ए-मुर्दा सज़ा-वार-ए-शाहबाज़ नहीं
-अल्लामा इक़बाल

3

jab ishq sikhaata hai aadaab-e-khud-aagaahi
khulate hain gulaamon par asaraar-e-shahanshahi

जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही
-अल्लामा इक़बाल

4

nahin hai na-umid iqabaal apani kisht-e-viraan se
zara nam ho to ye mitti bahut zarakhez hai saaqi

नहीं है ना-उमीद ‘इक़बाल’ अपनी किश्त-ए-वीराँ से
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी
-अल्लामा इक़बाल

5

vatan ki fikr kar naadaan musibat aane vaali hai
tiri barbaadiyon ke mashavare hain aasamaanon mein

वतन की फ़िक्र कर नादाँ मुसीबत आने वाली है
तिरी बर्बादियों के मशवरे हैं आसमानों में
-अल्लामा इक़बाल

6

kabhi ai haqiqat-e-muntazar nazar aa libaas-e-majaaz mein
ki hazaaron sajde tadap rahe hain miri jabin-e-niyaaz mein

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में
-अल्लामा इक़बाल

7

baatil se dabane vaale ai aasamaan nahin ham
sau baar kar chuka hai tu imtihaan hamaara

बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा
-अल्लामा इक़बाल

8

tamanna dard-e-dil ki ho to kar khidamat faqiron ki
nahin milata ye gauhar baadashaahon ke khazinon mein

तमन्ना दर्द-ए-दिल की हो तो कर ख़िदमत फ़क़ीरों की
नहीं मिलता ये गौहर बादशाहों के ख़ज़ीनों में
-अल्लामा इक़बाल

9

amal se zindagi banati hai jannat bhi jahannam bhi
ye khaaki apani fitarat mein na nuri hai na naari hai

अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है
-अल्लामा इक़बाल

10

hazaaron saal nargis apani be-nuri pe roti hai
badi mushkil se hota hai chaman mein dida-var paida

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
-अल्लामा इक़बाल

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