ताजमहल के बारे में 10 रोचक तथ्य
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ताजमहल के बारे में 10 रोचक तथ्य – जो आपको हैरान कर देंगे

दुनिया का हर इंसान चाहता है कि वह अपनी ज़िन्दगी में एक बार ताज महल जरूर देखे, इस महल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनाया था। इसे देखने के लिए प्रतिवर्ष दुनियाभर से लाखों की संख्या में पर्यटक भारत आते हैं। सूरज की रोशनी हो या फिर चांद की चांदनी, ताजमहल हर रोशनी में अलग रंग के साथ खुबसूरत दिखता है। ताजमहल दुनिया में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली इमारत है यहां पर प्रतिदिन करीब 12000 से अधिक पर्यटक ताजमहल देखने आते हैं। आइए जानते हैं ताजमहल के बारे में 10 रोचक तथ्य, जो आपने शायद ही पहले कभी सुनी होंगे।

सफ़ेद संगमरमर पर उकेरा गया ताजमहल हर किसी को हैरान कर देता है। आइए जानते हैं ताजमहल के बारे में ऐसी 10 बातें, जो आपने शायद ही पहले कभी सुनी होंगी।

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ताजमहल के निर्माण के समय बादशाह शाहजहां ने इसके शिखर पर सोने का एक कलश लगवाया था। इसकी लंबाई 30 फीट 6 इंच थी। कलश करीब 40 हजार तोले सोने से बनाया गया था।

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ताजमहल लकड़ियों पर खड़ा हुआ है यह ऐसी लकडिया है जिसे मजबूत रहने के लिए नमी की जरूरत पड़ती है और यह नमी ताजमहल के बाएं तरफ यमुना नदी से मिलती नहीं तो अब तक ताजमहल गिर गया होता ।

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ताजमहल के निर्माण पर तब 3.20 करोड़ रुपये की लागत आई। आज से तुलना करें तो यह लागत करीब 53 अरब रुपये बैठती है।

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कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए ताकि कोई अन्य दूसरा ताजमहल न बनवा सके। इस बारे में कुछ इतिहासकार कहते हैं कि कलाप्रेमी शाहजहां ऐसा काम नहीं कर सकता है। यह हो सकता है कि शाहजहां ने शिल्पकारों को इतनी रकम दे दी हो कि वे कहीं और काम न करें। इसके बाद शिल्पकार कहने लगे हों कि शाहजहां ने तो हमारे हाथ की काट दिए हैं, काम कैसे करें।

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ताजमहल की चारों मीनारों को इस प्रकार से बनाया गया है कि अगर कोई भूकंप या बिजली गिरे तो यह मीनारें बीच वाले को गुबंद पर बिल्कुल नहीं गिर सकती है इसीलिए ताजमहल की चारों मीनारें थोड़ी झुकी हुई हुवी नजर आती है ।

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ताजमहल का कार्य निर्माण 1632 में शुरू किया गया और 1653 में पूर्ण हुआ था इस ईमारत को बनाने में 22 वर्ष का समय लगा था।

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ताजमहल के निर्माण के लिए 28 किस्म के पत्थरों का प्रयोग किया गया है । ये पत्थर बगदाद, अफगानिस्तान, तिब्बत, मिश्र, रूस, ईरान आदि कई देशों के अलावा राजस्थान से मंगाए गए थे।

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इन पत्थरों का ही कमाल है कि ताजमहल सुबह गुलाबी, दिन में सफेद और पूर्णिमा की रात को सुनहरा नजर आता है।

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ताजमहल को दूसरे विश्व युद्ध, 1971 के भारत-पाक युद्ध और मुंबई के 9-11 हमले के दौरान चारों ओर से बांस का घेरा बनाकर हरे रंग के कपड़े से ढक दिया था। ताकि दुश्मनों की नजर ताजमहल पर ना पड़े।

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मुमताज और शाहजहां की असली कब्रें साल में सिर्फ तीन दिन शाहजहां के उर्स के मौके पर आम पर्यटकों के लिए खोली जाती हैं। पहले ये कब्रें आम पर्यटकों के लिए भी खोली जाती थीं। इन कब्रों पर चढ़ावा भी चढ़ाया जाता था, जो बंद कर दिया गया है। विशिष्ट अतिथियों को भी असली कब्रें दिखाई जाती हैं।

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