Gunahon Ki Adat Churah Mere Mowla Naat Lyrics
Gunahon ki adat churah meray Mowla,
mujhay naik insaan bana meray Mowla
Meri saabiqa har khatha meray Mowla,
thu Rehmath sey apni mita meray Mowla
Thu qudrath say apni badal naikyon sey,
har ik meri laghzish khata meray Mowla
mujhay naik insaan bana meray Mowla
Jo Thuj ko jo Teray Nabi ko pasand hai,
mujhay aisa bandhah bana meray Mowla
Thu Masjood mera mey saajid hu Tera,
Thu Malik mey bandha Tera meray Mowla
Thu Matloob mera mey talib hu Tera,
mujhay deyday apni wila meray Mowla
mujhay naik insaan bana meray Mowla
Thu leyga agar adal sey kaam apnay,
mey hun mustahik naar ka meray Mowla
Thujay waastha Teri Rahmat ka Ya Rabb,
jahannam sey mujh ko bacha meray Mowla
Jo Rahmath Teri Shah miley haal ho tho,
tikana hey jannath mera meray Mowla
mujhay naik insaan bana meray Mowla
meri tha qiyamat jo nasley ho Ya Rabb,
ho sab aashiq-e-Mustafah meray Mowla
mujhay bhi dikhaday Thu jalwa Nabi ka
yahi hai meri iltijah meray Mowla
jinon ney kaha hai duaon ka mujh sey,
Thu kar dey sabhi ka bhala meray Mowla
rula Thu mujhay bas gham-e-Mustafa mey,
na duniya keh gham mey rula meray Mowla
na mohtaaj kar Thu jahan mey kisi ka,
mujhay muflisi sey bacha meray Mowla
hai Ka’bay pay nazray Obaiday Raza ki,
ho maqbool har ik dua meray Mowla
mujhay naik insaan bana meray Mowla
IN HINDI
गुनाहों की आदत चुराह मेरे मोवला,
मुझे नाईक इंसान बना मेरे मोवला
मेरी साबिक़ा हर खता मेरे मोवला,
तू रहमत से अपनी मिटा मेरे मोवला
थू क्वद्रथ कहो अपणी बदल नायकों से,
हर इक मेरी लघ्ज़िश खाता मेरा मोवला
मुझे नाईक इंसान बना मेरे मोवला
जो तुझे जो तेरे नबी को पसंद है,
मुझे ऐसा बंधा बना मेरे मोवला
थू मस्जिद मेरा मे साजिद हु तेरा,
थू मालिक मय बंधा तेरा मेरय मोवला
थू मतलूब मेरा मे तालिब हू तेरा,
मुझे दिने अपनी विला मेरे मोवला
मुझे नाईक इंसान बना मेरे मोवला
थू लेगा अगर अदल सेय काम अपनाय,
मय हुन मुस्तहिक नार का मेरय मोवला
थूजाय वास्ता तेरी रहमत का या रब्ब,
जहन्नम सेय मुझ को बच्चा मेरा मोवला
जो रहमत तेरी शाह मिले हाल हो थो,
टिकाना हे जन्नाथ मेरा मेरा मोवला
मुझे नाईक इंसान बना मेरे मोवला
मेरी था क़ियामत जो नास्ले हो या रब,
हो सब आशिक-ए-मुस्तफा मेरे मोवला
मुझे भी दिखाय थू जलवा नबी का
यही है मेरी इल्तिजा मेरे मोवला
जिनो ने कहा है दुआओं का मुझ से,
थू कर दे सभी का भला मेर मोवला
रूला थू मुझाय बस गम-ए-मुस्तफा मे,
ना दुनिया के ग़म मे रुला मेरय मोवला
ना मोहताज कर थू जहां मे किसी का,
मुझे मुफलिसी से बचा मेरे मोवला
है काबे अदा नज़रे ओबैदय रज़ा की,
हो मकबूल हर इक दुआ मेरे मोवला
मुझे नाईक इंसान बना मेरे मोवला